Samrat Ashok History in Hindi – महान सम्राट अशोक

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महान सम्राट अशोक
महान सम्राट अशोक

महान सम्राट अशोक

महान सम्राट अशोक

महान सम्राट अशोक भारतीय इतिहास के अतुल्नीय महान शासक थे। मौर्य साम्राज्य के तीसरे शासक सम्राट अशोक ने 269 ईसा पूर्व से 232 ईसापूर्व तक भारत के सभी महाद्वीपों पर शासन किया था। सम्राट अशोक मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य के पोते थे। वे इतिहास के सबसे शक्तिशाली और दूरदर्शी योद्धाओं में से एक थे। सम्राट अशोक का जन्म 304 ईसापूर्व में पाटलिपुत्र (पटना) में हुआ था। उनके पिता का नाम राजा बिंदुसार मौर्य और माता का नाम महारानी धर्मा (शुभद्रांगी) था। सम्राट अशोक बचपन से ही बेहद प्रतिभावान और तीव्र बुद्धि के बालक थे। उनके अंदर लकड़ी की एक छड़ी से ही एक शेर को मारने की अद्भुत क्षमता थी। सम्राट अशोक को उनके मानवीय गुणों के कारण देवान प्रियदर्शी (पाली: देवान पियदस्सी अशोक) के नाम से संबोधित किया जाता था। वे अदभुत साहसी, पराक्रमी, निडर, निर्भीक एवं न्यायप्रिय शासक थे, जिन्होंने अपने शासनकाल में अपनी कुशल कूटनीति का इस्तेमाल कर मौर्य साम्राज्य का विस्तार किया था। सम्राट अशोक अपनी प्रजा का बेहद ख्याल रखते थे। अतः वे अपनी प्रजा के बहुत चहेते शासक भी थे। सम्राट अशोक की विलक्षण प्रतिभा और उत्ष्ट सैन्य गुणों के कारण उनके पिता बिन्दुसार भी अपने पुत्र से बेहद प्रभावित थे। इसलिए उन्होंने सम्राट अशोक को बेहद कम उम्र में ही मौर्य वंश की राजगद्दी सौंप दी थी। भारत के ध्वज में अशोक चक्र का विशेष महत्त्व है और चारमुखी शेर के राज चिन्ह को राष्ट्रीय प्रतीक अपनाते हैं। सेना का सबसे बड़ा युद्ध सम्मान ‘‘सम्राट अशोक‘‘ के नाम पर, ‘‘अशोक चक्र‘‘ दिया जाता है। सम्राट अशोक ने अखंड भारत का निर्माण किया और आज के नेपाल, बांग्लादेश, पूरा भारत, पाकिस्तान, और अफगानिस्तान, बलूचिस्तान जितने बड़े भूभाग पर एक-छत्र राज किया था।
कलिंग युद्ध का प्रभाव विश्व के इतिहास में कलिंग के युद्ध का एक प्रमुख स्थान है । यह युद्ध महान सम्राट अशोक और राजा अनंत पद्मनाभन के बीच 262 ईसा पूर्व में कलिंग (आज का ओडिशा राज्य) लड़ा गया। इस युद्ध में बड़े स्तर पर नरसंहार हुआ जिसमें करीब तीन लाख लोगों की जानें गई और एक लाख से अधिक लोग घायल हुए थे।

महान सम्राट अशोक ने युद्ध में राजा अनंत पद्मनाभन को पराजित कर कलिंग पर विजय प्राप्त की और मौर्य साम्राज्य में इसको मिला लिया। परन्तु इस युद्ध के विनाशकारी परिणाम को देखकर सम्राट अशोक ने अंततः बौद्ध धर्म को अपनाया और शांति का मार्ग चुना। अशोक महान ने बौद्ध धम्म की शिक्षा व् विचारधारा का अपने अंतिम समय तक केवल पालन ही नहीं किया बल्कि इसका जबरदस्त प्रसार किया। उन्होंने बुद्ध धम्म का प्रचार भारत के अलावा श्रीलंका, अफगानिस्तान, पश्चिम एशिया, मिस्र तथा यूनान में भी करवाया।
महान सम्राट अशोक ने ‘‘२३ विश्वविद्यालयों की स्थापना‘‘ की जिसमें तक्षशिला, नालन्दा, विक्रमशिला, कंधार, आदि विश्वविद्यालय प्रमुख थे। इन्हीं विश्वविद्यालयों में विदेश से छात्र उच्च शिक्षा पाने भारत आया करते थे। महान सम्राट अशोक के शासन काल को विश्व के बुद्धिजीवी और इतिहासकार भारतीय इतिहास का स्वर्णिम काल मानते हैं । इस समय में भारत को बौद्धिक ष्टि से विश्व गुरु और सर्वत्र खुशहाली एवं धनाढयता के लिए सोने की चिड़िया के नाम से जाना जाता है। सभी को जीवन के सभी समान अधिकार प्राप्त थे और जनता खुशहाल, अपराधमुक्त और भेदभाव-रहित थी। महान सम्राट अशोक के शासन काल में व्यापार एवं परिवहन हेतु अनेकों लम्बे चैड़े राष्ट्रीय महामार्ग का निर्माण हुआ। ऐसा वर्णन है कि एक राष्ट्रीय राजमार्ग तो दो हजार किलोमीटर लम्बाई का था जिस पर दोनों ओर पेड़ लगाये गए, सरायें बनायीं गईं, अनेकों अस्पताल बनवाये गए, पशुओं के लिए भी प्रथम बार चिकित्सालयों का निर्माण करवाया और पशुओं को मारना बंद करा दिया गया।

प्रजा की बेहतरी के लिए आदेश सन्देश
महान सम्राट अशोक ने अपने साम्राज्य में जगह-जगह स्तंभों पर प्रजा की बेहतरी के लिए आदेश सन्देश लिख रखे थे, जैसे-“सभी नागरिक मेरे बच्चे हैं, जिस प्रकार मैं अपना कल्याण और सुख चाहता हूँ उसी प्रकार मैं सभी नागरिकों के लिए समान रूप से चीजें चाहता हूं”। “इस संसार में सुख प्राप्त करने के धम्म के प्रति गहन प्रेम से, गहन आत्म-परीक्षा, तीव्र आज्ञाकारिता, तीव्र गलत काम का डर, और तीव्र उत्साह अनिवार्य है। मेरे साम्राज्य में मेरे सन्देश के परिणामस्वरूप धम्म के प्रति सम्मान और प्रेम दिन-ब-दिन बढ़ता गया है और वृद्धि जारी है। इसके लिए नियम हैं कि धम्म के अनुसार शासन करना, धम्म के अनुसार न्याय करना, लोगों के जीवन को खुशहाल बनाने व इसमें वृद्धि करने के लिए धम्म का पालन करना और धम्म के अनुसार नागरिकों की रक्षा करना।”
महान सम्राट अशोक ने जहां-जहां भी अपना साम्राज्य स्थापित किया, वहां-वहां अशोक स्तंभ बनवाए। उन्होंने 84,000 बौद्ध स्तूपों का निर्माण भी करवाया था। इसके अतिरिक्त सम्राट अशोक ने लाखों बुद्ध विहार, चैत्य एवं टीलों का निर्माण कराया। अपने धम्म लेखों और संदेशों को स्तंभ आदि पर अंकन के लिए उन्होंने ब्राह्मी और खरोष्ठी दो लिपियों का उपयोग किया था। सम्राट अशोक का परिनिर्वाण 232 ईसा पूर्व तक्षशिला में हुआ।

 इन्दर सिंह
     इन्दर सिंह

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