Biography of Mayawati – बहन कुमारी मायावती

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बहन कुमारी मायावती
बहन कुमारी मायावती

बहन कुमारी मायावती

बहन कुमारी मायावती

 

बहुजन समाज में जन्मी मायावती एक ऐसी बहुजन नायिका हैं जिन्हें दुनिया की 8 सर्वाधिक ताकतवर महिलाओं में शुमार किया गया है। बहनजी का पूरा नाम मायावती प्रभु दास है। इनकी माता का नाम श्रीमती रामरति और पिता का नाम प्रभु दास था। इन्होंनेे स्नातक तक की शिक्षा मेरठ यूनिवर्सिटी से पूरी की और दिल्ली सरकार के अंतर्गत 1977 से 1984 तक शिक्षक के रूप में कार्य किया। बहन मायावती जब कॉलेज के पहले या दूसरे साल में थीं तब वह दिल्ली में रहती थीं, और बहुजन कार्यों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया करती थीं। वह शुरू से ही बाबासाहेब के विचारों और उनकी बातों को आगे बढ़ाने का कार्य भी करती थीं। उनका धार-दार भाषण मनुवादियों के होश उड़ा देता था। ऐसा ही एक भाषण उन्होंने ‘‘कॉन्स्टिट्यूशन क्लब‘‘ में दिया। मायावती ने अपनी दहाड़ से वर्णवादी व्यवस्था को मनुवादी कहकर हिंदी क्षेत्रों में लताड़ना शुरू किया तो वर्षों से दबे हुए दलित समाज ने उन्हें अपनी आवाज और अपने लिए एक युद्धरत सिपाही पाया। बहनजी ने महज 21 साल की उम्र में ऐतिहासिक भाषण दिया था, जिसे सुनकर मान्यवर साहब कांशीराम भी भौंचक्केे रह गए थे। उन्होंने वह बात मायावती में देख ली जो अन्य महिलाओं में देखने को नहीं मिलती थीं। मायावती जी का राजनैतिक जीवन इतना आसान नहीं रहा है, वह पहले बामसेफ और फिर डीएस-4 में सक्रिय र्हुईं। यह वह समय था जब दलित राजनीति का कोई भविष्य नहीं था। ये कोई मानने को तैयार नहीं था कि बहुजन आंदोलन कभी इतनी ताकत से सर चढ़कर बोलेगा। कुमारी मायावती आज जिस मुकाम पर हैं वहां तक पहुंचने के लिए उन्होंने कड़ा संघर्ष किया है।

मायावती अपना परिवार छोड़कर सिर्फ समाज के लिए समर्पित हो र्गईं। बहनजी के राजनैतिक सफर में उनके पिता ने भी उनका साथ नहीं दिया। उन्होंने यह तक कह दिया कि अगर कंशीराम का साथ नहीं छोड़ा तो उन्हें परिवार से अलग और बेदखल कर दिया जाएगा। इसके बाद भी मायावती ने बहुजनों की तकलीफों को देखते हुए अपना घर छोड़ना मुनासिब समझा और मिशन के लिए अपने आप को समर्पित कर दिया।

वो 15 दिसंबर 2001 का दिन था जब बहुजन नायक मान्यवर कांशीराम साहब जी ने एक रैली के दौरान बहन जी को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित किया, बहुजन मोमेंट की बागडोर मायावती जी के हाथ में सौंपी। बहनजी को अपनी पहली राजनीतिक जीत के लिए कई साल का इंतजार करना पड़ा। इनके नेतृत्व में बसपा पार्टी ने 2007 में विधानसभा चुनाव में बहुमत हासिल किया और 2009 में बसपा को लोकसभा चुनाव में 20 सीटें हासिल हुई। इन परिणामो से बहनजी ने अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई। बसपा पार्टी उस समय पूरे राज्य में सबसे ज्यादा सीटें हासिल करने वाली पार्टी थी और यही नहीं इतिहास में पहली ऐसी पार्टी जिसने उत्तर प्रदेश में पूर्ण रूप से 5 साल तक का कार्यकाल पूरा किया और इतिहास के पन्नों पर ऐसा कार्य कर दिखाया जो आज तक किसी ने नहीं किया। उन्होंने कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए जो कार्य किए थे वह आज तक कोई भी नहीं कर पाया। अब मायावती के चाहने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही थी। जब मायावती पहली बार मुख्यमंत्री बनी तो बहुजनों की आंखों में नमी और चेहरे पर खुशी की लहर साफ नजर आ रही थी। उन सब को लगता था कि बाबासाहेब और मान्यवर साहब का सपना अब साकार होता नजर आ रहा है क्योंकि वह एक पहली दलित महिला मुख्यमंत्री बन गई थीं। यह खबर देश-विदेश के टीवी न्यूज चैनल पर तेजी से वायरल होने लगी। यह वह समय था जब मायावती विश्व के फलक पर अचानक एक कद्दावर नेता के रूप में उभरी थीं। उनकी इन्हीं उपलब्धियों की बदौलत उनको ‘‘आयरन लेडी‘‘ के खिताब से भी नवाजा गया।

मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद उन्होंने नायकों और बहुजन के हित का विशेष ख्याल रखा और कई ऐतिहासिक कार्य करवाएं:-
1. 88 हजार बी टी सी शिक्षको की भर्ती की गई।
2. 41 हजार कांस्टेबल की भर्ती हुई।
3. गरीब बस्तियों में दो हजार समुदायिक केंद्र खोले गए।
4. वृद्ध कल्याण नीति के अंतर्गत 60 वर्ष के ऊपर सभी बी पी एल व्यक्तियों को वृद्धावस्था पेंशन दिया गया।
5. भारत का पहला फार्मूला वन रेसिंग ट्रेक ‘‘बुद्धा इन्टर्नेशनल सर्किट‘‘ बनाया गया ।
6. आतंकवाद से निपटने के लिए एटीएस( एटीएस) का गठन 2007 में किया गया था।
7. 108848 सफाई कर्मियों की भर्ती की गई।
8. प्रदेश के 20 जिलों में अंबेडकर पीजी छात्रावास की स्थापना की गई।
9. कन्नौज, बागपत, महाराजगंज, कौशांबी, बलरामपुर, सोनभद्र में जिला कारागार का निर्माण हुआ।
10. 2195 गांव में 3332 किमी की सड़क का निर्माण हुआ।

इन तमाम कार्यों के साथ बहनजी ने बहुजन समाज के नायकों का इतिहास रचने का कार्य भी किया। वर्तमान समय में मायावती जी को दलित समाज की मसीहा के रूप में जाना जाता है, उनके करोड़ों समर्थक उन्हें अपना आदर्श मानते हैं और उन्हें बहनजी कहकर सम्मान प्रकट करते हैं। बहन जी इकलौती ऐसी भारतीय राजनीतिज्ञ हैं जिन्हें चार बार किसी राज्य का मुख्यमंत्री होने का गौरव प्राप्त हुआ।

प्रधानमंत्री श्री पी. वी. नरसिम्हा राव ने उन्हें लोकतंत्र का करिश्मा नाम दिया। उसका एक कारण था क्योंकि एक कुशल प्रशासन के रूप में बहन जी का तेवर हमेशा उग्र रहा है। बहन जी की सरकार के समय उ.प्र. में जितने भी गुंडे हुआ करते थे वह सब अंडरग्राउंड या जेल में नजर आते थे। आज तक के इतिहास में विपक्ष भी उनके कार्य का लोहा मानता है, चाहे किसी जाति या धर्म का व्यक्ति हो प्रदेश की आम जनता ने बसपा शासन में हमेशा सुरक्षित महसूस किया। बहनजी ने शुरुआत से ही बहुजन नायकों की विचारधारा और उनके मिशन मूवमेंट को आगे बढ़ाने का लगातार कार्य किया। मायावती का पूरा ध्यान दलितों के हित साधने में रहा। अपने राजनीतिक गुरु बसपा के संस्थापक मान्यवर कांशीराम साहब जी के परिनिर्वाण के बाद मायावती जी ने अपने आप को असहाय महसूस किया लेकिन उनकी विचारधारा को उनके मिशन में जरा-सी भी कमी नहीं आने दी और बिना किसी से समझौता किए हुए निरंतर उनके कारवां को आगे बढ़ाने का कार्य किया। मायावती ने अपनी पकड़ समाज के हर वर्ग में बनाई है। वह उत्तर प्रदेश की पहली ऐसी नेता हैं जिन्होंने नौकरशाहों को मालिक नहीं जनसेवक बताया है।

डॉ राजबीर सिंह

डॉ राजबीर सिंह

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